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हर मुसीबत को मैं पत्तों सा मसल सकता हूँ। उसकी आवा

हर मुसीबत को मैं पत्तों सा मसल सकता
 हूँ।
उसकी आवाज पर मैं फौलाद पिघला सकता हूँ।
ओ मेरे टूटे स्पन!
ऐसे तो हिम्मत मत हार
मैं चाहूँ तो तकदीर बदल सकता हूँ।
हर मुसीबत को मैं पत्तों सा मसल सकता
 हूँ।
उसकी आवाज पर मैं फौलाद पिघला सकता हूँ।
ओ मेरे टूटे स्पन!
ऐसे तो हिम्मत मत हार
मैं चाहूँ तो तकदीर बदल सकता हूँ।