वह सडक भी आज रो रही होगी, जहाँ कभी तेरी गुंजन झलकी होगी...। हाँ अब तो मेरी अर्जी भी वहाँ पहुँची होगी, जहाँ कभी मेरे नाम की पर्छी भी ना पहुँची होगी...। -क.वि बेताब इश्क💞💞