मथुरागमन - 1
हृदय में प्रेम के दीपक विधाता तुम जलाते हो
यहां आपस में जीवों को प्रभो तुम ही मिलाते हो
कन्हैया से हमें इस जन्म में तुम ने मिलाया है
हमारे भाग हैं अच्छे जो उनका साथ पाया है
हैं व्याकुल सोचकर हम अब कि कान्हा दूर जाएंगे
वो चितवन याद कर दिन रात हम आंसू बहाएंगे
वो उनकी चाल लटकीली, वो मदमाती मधुर बोली