वही कच्चे आमों के दिन गाँव में हैं वही नर्म छाँवों के दिन गाँव में हैं मगर ये शहर की अजब उलझनें हैं न तुम गाँव में हो न हम गाँव में हैं *|('}_* *|(_/\\__G@ur@v______✍🥀* *🌚!! शुभ रात्रि !!🌚* *🚩!! जय सियाराम !! ©गौरव दीक्षित(लव) #memory