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ज़िन्दगी की ये दास्तान हवाओं पर लिखी मैंने मेरी ज़

ज़िन्दगी की ये दास्तान 

हवाओं पर लिखी मैंने मेरी ज़िन्दगी की दास्ताँ ,
कभी यहाँ तो कभी वहां किया जो मैंने प्रस्थान , 
हर जगह से लिया कोई ना कोई तो ज्ञान ,
लगाया जब अपना एक ओर ध्यान ,

मिलता चला लोगों का जो मुझे साथ ,
कुछ छोड़ गए बीच राह में हाथ ,
कुछ तो रही होगी ही बात ,
जो ना याद आयी उन्हें मुश्किलों भरी रात ,

कोई बदल गया जिन्दगी जीने की सोच ,
तो कोई दिखा गये उनके दिमाग़ में लगी है मोच ,
कोई बन गया अनजाने में रब का तारा ,
कुछ चल पड़े देने राह को किनारा ।। हवाओं पर लिखा मैंने..
#लिखामैंने #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ज़िन्दगी की ये दास्तान 

हवाओं पर लिखी मैंने मेरी ज़िन्दगी की दास्ताँ ,
कभी यहाँ तो कभी वहां किया जो मैंने प्रस्थान , 
हर जगह से लिया कोई ना कोई तो ज्ञान ,
लगाया जब अपना एक ओर ध्यान ,

मिलता चला लोगों का जो मुझे साथ ,
कुछ छोड़ गए बीच राह में हाथ ,
कुछ तो रही होगी ही बात ,
जो ना याद आयी उन्हें मुश्किलों भरी रात ,

कोई बदल गया जिन्दगी जीने की सोच ,
तो कोई दिखा गये उनके दिमाग़ में लगी है मोच ,
कोई बन गया अनजाने में रब का तारा ,
कुछ चल पड़े देने राह को किनारा ।। हवाओं पर लिखा मैंने..
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