ज़िन्दगी की ये दास्तान हवाओं पर लिखी मैंने मेरी ज़िन्दगी की दास्ताँ , कभी यहाँ तो कभी वहां किया जो मैंने प्रस्थान , हर जगह से लिया कोई ना कोई तो ज्ञान , लगाया जब अपना एक ओर ध्यान , मिलता चला लोगों का जो मुझे साथ , कुछ छोड़ गए बीच राह में हाथ , कुछ तो रही होगी ही बात , जो ना याद आयी उन्हें मुश्किलों भरी रात , कोई बदल गया जिन्दगी जीने की सोच , तो कोई दिखा गये उनके दिमाग़ में लगी है मोच , कोई बन गया अनजाने में रब का तारा , कुछ चल पड़े देने राह को किनारा ।। हवाओं पर लिखा मैंने.. #लिखामैंने #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi