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भले एक से दो, सावन या भादो, खे

भले  एक  से दो, 
              सावन  या  भादो, 
खेतों  में बरसात, 
              बन जाता  कादो, 

करो बुआई  धान,
              मिले  अन्न  साधो, 
बारिश का संगीत, 
              चलो आज गा दो, 

टपक रही है छत, 
               घास फूस छा दो, 
होगा जल प्लावन,
              बाँध तो बँधवा दो, 

राशन और जलावन, 
            साहब  भिजवा  दो, 
पशुओं   का   चारा, 
            कोई   दिलवा    दो, 

है  विभीषिका  बाढ़,
             इसकी  दवा   देदो, 
ख़ुशी और ग़म साथ, 
            'गुंजन'  बतला   दो,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भले एक से दो#
भले  एक  से दो, 
              सावन  या  भादो, 
खेतों  में बरसात, 
              बन जाता  कादो, 

करो बुआई  धान,
              मिले  अन्न  साधो, 
बारिश का संगीत, 
              चलो आज गा दो, 

टपक रही है छत, 
               घास फूस छा दो, 
होगा जल प्लावन,
              बाँध तो बँधवा दो, 

राशन और जलावन, 
            साहब  भिजवा  दो, 
पशुओं   का   चारा, 
            कोई   दिलवा    दो, 

है  विभीषिका  बाढ़,
             इसकी  दवा   देदो, 
ख़ुशी और ग़म साथ, 
            'गुंजन'  बतला   दो,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #भले एक से दो#

#भले एक से दो# #कविता