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मेरी परछाई मुझे क्या तुझे आगे पीछे न दिखे खिड़कियों

मेरी परछाई मुझे क्या तुझे आगे पीछे न दिखे
खिड़कियों से आती  रेशम सी किरणे
उनमें झांकती खुशी न दिखे
अंधेरो से क्यों डरते
एक दीप की एक लौ से तो वो न टिकते
परछाई है हम तेरी 
इतना ही बताते 
जंग जिंदगी की जीतनी हो तो 
हमें अंदर में समा लो
फिर चारो और नजर डाल लो
नजर जब न आये 
हमें भूल 
अपनी  मंजिल को चुन लो
मेरी परछाई मुझे क्या तुझे आगे पीछे न दिखे
खिड़कियों से आती  रेशम सी किरणे
उनमें झांकती खुशी न दिखे
अंधेरो से क्यों डरते
एक दीप की एक लौ से तो वो न टिकते
परछाई है हम तेरी 
इतना ही बताते 
जंग जिंदगी की जीतनी हो तो 
हमें अंदर में समा लो
फिर चारो और नजर डाल लो
नजर जब न आये 
हमें भूल 
अपनी  मंजिल को चुन लो