बन सुमन उस बागों की, चारों ओर खुशबू फैलती है, ग़मो को खुदसे दूर करके सबके, होठों पर मुस्कान लाती हैं, मेरी दोस्त कुछ ऐसी है| अंदाज़ है कुछ अलग इसका पर अपने अंदाज से कितने को पागल कर देती हैं, मोहब्बत से दूर पर अपने मोहब्ब्त से सभी को दीवाना बना देती हैं, मेरी दोस्त••••••••••••| थोड़ी सी शरारती है तो कुछ बदमाशियाँ भरी है उसमें,और दिल से तो बिल्कुल बच्ची है, दोस्ती है हमारी दस सालों से,पर लगता है हमारी मुलाक़त हुई है अभी-अभी मेरी दोस्त •••••••••••••| पढ़ाई हो या फिर लंच करना , साथ थे हम दोनों हर लम्हों में और उन लम्हों को हसीन कर यादों के पन्नों में लिख दिये हैं हमनें और एक नाम जो हम दोनों को जोड़ती हैं, मेरी दोस्त और हमारी दोस्ती कुछ ऐसी है| #मेरी दोस्त कुछ ऐसी है