नई उमंग नये लफ्ज़ बनकर ढलता रहूं, राह पुरानी हो या नई चलता रहूं, दुनियावालों के तसव्वुर जो कुछ भी हो.. मैं अदब से इस दुनिया को सुनता रहूं ! इस वसुमती के आँचल में पलता रहूं, वन उपवन की वाटिका में खिलता रहूं, देखनेवालों की नजरे जो भी समझे.. प्रेम भरी इस दुनिया को निखरता रहूं ! इन खुशनुमा हवाओं में लहरता रहूं, मेघों की छाया में कुछ ठहरता रहूँ, कल की फिकर करनेवालों से मुझे क्या.. मन की कलम से हरदम कुछ लिखता रहूं। ©Anand Dadhich #SelfMotivation #gratitude #kaviananddadhich #दुनिया #जीनेकाअंदाज #poetananddadhich #Poetry #yellowflower