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कैप्शन में पढ़ें 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी प

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©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज-85
बारात स्टेडियम पहुंचने ही वाली है... पहला प्रवेश द्वार पर एक स्वागत का बड़ा सा बैनर लगा हुआ है.. जिसमें हाथ जोड़े कन्या के पिता और राकेश का चित्र बना हुआ है.. और एक प्रार्थना लिखी हुई है... "कृपया अपनी चरणपादुकाएं यहाँ उतारकर हमें अनुग्रहीत करें "
यहाँ से मुख्यद्वार तक पहुंचने के लिये  के करीब सौ फीट तक गुलाब और गेंदे के फूलों से रंग बिरंगी राह बनाई गई है बीच बीच में उन्हीं फूलों को रंग कर फूलों की डिजाइन बनी हुई है..और राह के दोनों ओर पांच पांच फीट पर हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों से भरी थाल लिये सुंदर परिधानयुक्त युवक युवतियाँ खड़ी हुईं है.. मानो ज़ब बारात इस फूलों वाले रास्ते से गुजरे तो उनके स्वागत में पुष्पवर्षा की जावेगी... मुख्य स्वागत द्वार पर दाहिने और बाएं तरह दो कन्याएं कलश लिये खड़ी हैं वधू पक्ष बारात झेलने को हाथों में पुष्पहार लिये खड़ा है.. 

बारात प्रथम स्वागत गेट तक पहुंची और सबने उस बैनर को पढ़ा.. पढ़कर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ.. शायद ये वधू पक्ष का कोई उपहास है जो बारातियों के साथ किया जा रहा है... अपने जूते चप्पल उतारने में लगभग सभी को अनकम्फर्ट फील हो रहा था.. कुछेक ने तो अपनी घोर नाराजगी जताई.. इस पर विशाल जी ने राकेश को कॉल किया - अरे मित्र बारात दरवाज़े तक आ पहुंची है.. लेकिन यहाँ तो एक बैनर ने हमें बड़े असमंजस में डाल रख्खा है, मानो हमें किसी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना हो.. क्या ये उचित है मित्र... !
राकेश-मित्र वधू पक्ष की अपनी कुछ प्रथाएं हैं उन्हीं के निर्वहन हेतु विनीत आग्रह किया गया है. कृपया सबको आश्वस्त करें और बारात को मुख्य द्वार तक आने दें..!
विशाल जी-लेकिन यार जनार्दन, ये कैसी प्रथा है हमने तो हजारों शादियां अटेंड की हैं मगर कहीं किसी बारात के जूते चप्पल उतारने को तो किसी ने नहीं कहा..! मेरे हिसाब से तो ऐसा करना बारात का अपमान जैसा ही होगा..! आप क्या कहते हो...!
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बारात स्टेडियम पहुंचने ही वाली है... पहला प्रवेश द्वार पर एक स्वागत का बड़ा सा बैनर लगा हुआ है.. जिसमें हाथ जोड़े कन्या के पिता और राकेश का चित्र बना हुआ है.. और एक प्रार्थना लिखी हुई है... "कृपया अपनी चरणपादुकाएं यहाँ उतारकर हमें अनुग्रहीत करें "
यहाँ से मुख्यद्वार तक पहुंचने के लिये  के करीब सौ फीट तक गुलाब और गेंदे के फूलों से रंग बिरंगी राह बनाई गई है बीच बीच में उन्हीं फूलों को रंग कर फूलों की डिजाइन बनी हुई है..और राह के दोनों ओर पांच पांच फीट पर हाथों में गुलाब की पंखुड़ियों से भरी थाल लिये सुंदर परिधानयुक्त युवक युवतियाँ खड़ी हुईं है.. मानो ज़ब बारात इस फूलों वाले रास्ते से गुजरे तो उनके स्वागत में पुष्पवर्षा की जावेगी... मुख्य स्वागत द्वार पर दाहिने और बाएं तरह दो कन्याएं कलश लिये खड़ी हैं वधू पक्ष बारात झेलने को हाथों में पुष्पहार लिये खड़ा है.. 

बारात प्रथम स्वागत गेट तक पहुंची और सबने उस बैनर को पढ़ा.. पढ़कर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ.. शायद ये वधू पक्ष का कोई उपहास है जो बारातियों के साथ किया जा रहा है... अपने जूते चप्पल उतारने में लगभग सभी को अनकम्फर्ट फील हो रहा था.. कुछेक ने तो अपनी घोर नाराजगी जताई.. इस पर विशाल जी ने राकेश को कॉल किया - अरे मित्र बारात दरवाज़े तक आ पहुंची है.. लेकिन यहाँ तो एक बैनर ने हमें बड़े असमंजस में डाल रख्खा है, मानो हमें किसी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना हो.. क्या ये उचित है मित्र... !
राकेश-मित्र वधू पक्ष की अपनी कुछ प्रथाएं हैं उन्हीं के निर्वहन हेतु विनीत आग्रह किया गया है. कृपया सबको आश्वस्त करें और बारात को मुख्य द्वार तक आने दें..!
विशाल जी-लेकिन यार जनार्दन, ये कैसी प्रथा है हमने तो हजारों शादियां अटेंड की हैं मगर कहीं किसी बारात के जूते चप्पल उतारने को तो किसी ने नहीं कहा..! मेरे हिसाब से तो ऐसा करना बारात का अपमान जैसा ही होगा..! आप क्या कहते हो...!