पापा देखो मैं बडी हो गई घर आंगन चौबारे अब मै अकेले ही घूम आती हूँ नंहे नंहे कदम से मैं नंहे नंहे हाथ से मैं दादी माँ का सहारा बन जाती हूँ ...घर आंगन चौबारे अब मै ...अकेले ही घूम आती हूँ ।। पापा देखो मै बडी हो गई..... मैं नल नही चला सकती लेकिन पौधो को सहला आती हूँ नंही नंही चिडिय़ा आती हैं मैं छत पे दाना डाल आती हूँ ।। ....घर आगन चौबारे अब मै .....अकेले ही घूम आती हूँ ।। पापा देखो मैं बडी हो गई ... अब सब कुछ मैं ही देखती हूँ और खाना भी खा लेती हूँ अब मैं किसी चीज की जिद भी नही करती हूँ लेकिन आप आ जाओ मेरी पतंग टूट गई हे । फिर भी मै पतंग नही मांगूगी पापा देखो मैं बडी हो गई ........ महेन्द्र प्रताप सिंह ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पापा देखो मैं बडी हो गई घर आंगन चौबारे अब मै अकेले ही घूम आती हूँ नंहे नंहे कदम से मैं नंहे नंहे हाथ से मैं दादी माँ का सहारा बन जाती हूँ ...घर आंगन चौबारे अब मै ...अकेले ही घूम आती हूँ ।।