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अपनी ही उलझनों मे व्यस्त है आदमी आज के दौर मे.

अपनी  ही  उलझनों मे  व्यस्त है आदमी आज के दौर मे.
यहां कौन है ऐसा जो  दुसरो के लिए आंसू बहाता  है

प्यार मुहब्बत के  किस्से  सब तम्माम  हुए
आज का  आदमी तो हिंसा और प्रतिहिंसा मे ही
अपना समय गवाता है

©Parasram Arora
  उलझने

उलझने #कविता

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