राज़ कई हैं, ज़ख्म कई हैं मामूली खरोचों पर झूठे आँसू बहा रहा हूँ मैं, गलतियों पर अपनी बेहिसाब पछता रहा हूँ मैं, राज़ कई हैं, ज़ख्म कई हैं, आज छुपाने के लिए, इसलिए सरेआम अपना मजाक बनवा रहा हूँ मैं..! IG:—@my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla राज़ कई हैं, ज़ख्म कई हैं..! . . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment