जब कोई इंसान बोलता है कि आप किस आधार पर विश्वास कर रहे हैं। "आधार" मन में आते ही विश्वास को आधा तोड़ देता है। किसी पर विश्वास करने का आधार क्या होना चाहिए, जाति, धर्म, लिंग, संबंध या कोई पायदान जिस पर खड़ा है। यहां से आपका क़दम विश्वासी को छोड़ अविश्वासी की ओर बढ़ने लगता है। जिंदगी की सबसे भूल जब किसी के कहने पर विश्वास और अविश्वास समझते हैं। ©suman singh rajpoot #suman singh rajpoot