यह विश्राम का समय नहीं आवो उठो के अब आसमां को बढ़ते है, लगाकर सिढी़यां अब चांद को चढ़ते है, कैसे करेंगे ? किसतरह करेंगे ? नादान रो मयत मुस्कुरा "इब्राहिमी",,,,, हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खु़दा, यह थकावट व हैरान का समय नहीं यह विश्राम का समय नहीं ©AL ibrahimi poetry #aawo badho #ClimbTheSky