सख़्त गरमी में भी सर्दी लग रही अब तबियत इतनी अच्छी लग रही रात की चुनरी पे तारे लग चुके शाम के सूरज को हल्दी लग रही खुल गए ख्वाबों के मंज़र हर तरफ नींद में वो और अच्छी लग रही मौसमों के रंग उड़ते जा रहे और वो फूलों में तितली लग रही झूठ है ये रौशनी दीवार पर बस तेरी तस्वीर सच्ची लग रही ©Aadarsh Dubey सख़्त गरमी में भी सर्दी लग रही अब तबियत इतनी अच्छी लग रही रात की चुनरी पे तारे लग चुके शाम के सूरज को हल्दी लग रही खुल गए ख्वाबों के मंज़र हर तरफ नींद में वो और अच्छी लग रही