दुर्योधन ने कहा - योद्धाओं के युद्ध में ये कैसा मोड़ आया है , खुद को बचाने के लिये कृष्ण को ले आया है ! रथ के जिसके सारथी स्वयं भगवान हो, ध्वज पे जिसके बिराज़मान खुद हनुमान हो ! कोई उससे क्या जीतेगा जिसके पक्ष में भगवान हो ! कर्ण ने कहा - तू धैर्य रख दुर्योधन यहाँ कोई ना टिक पायेगा, जब तक हूँ जीवत मैं, तुझे कोई छू भी ना पायेगा ! है अगर अधर्म ये तो अधर्म मैं करूँगा , तेरी मित्रता के लिए भगवान से भी लड़ूंगा ! उठाया जब धनुष कर्ण ने ऐसा तीर मारा है, अर्जन के रथ को तीन पग पीछे धकेल आया है ! श्रीकृष्ण ने कहा - संभल जाओ अर्जुन ये शिव का विक्राल रूप है, जाना नही तुमने जिसे, वो महारथी कर्ण है ! दान में दिया है जिसने अपना कवच कुण्डल है, श्राप से ग्रसित जिसका पूरा जीवन है, क्षत्रिय हो कर भी कहलाया जो सुत है, हे अर्जुन याद रखो ये महादानी कर्ण है ! नही कोई इसके जैसा ना कोई बन पायेगा, जाना जिसने कर्ण को वो कर्ण कर्ण गायेगा ! ©sunil kumar #Krishna #Mahabharat #karan