पहले दिन क्या सुंदर थे जब युवा देश की स्वतंत्रता के लिए मरते थे तब शहीद सबसे कहे जाते थे उसी समय देश में एक शोक लहर चाहूं दिस मैं छा जाती थी सब के अंतर्मन की पीड़ा सड़कों पर हमको दिख जाती थी क्या बदल गया है अब मंजर अब होता कोई गर शहीद यहां सिर्फ बात दवाई जाती है इससे अच्छे तो काले अंग्रेज थे जिन्होंने जनता की पीड़ा को जान लिया कर दिया आजाद हम सबको और ना सताने की ठान लिया इंसान वही हैं अब भी हम क्यों फिर संवेदनाएं दवाई जाती हैं कहीं खुलना जाए दुस्मानो की पोल यहां समाज में नई-नई गुत्थियां पिरोई जाती हैं क्या हश्र होगा अब आगे का यह तो समझ से मेरी परे रहा मेरी बिनती है ईश्वर से अब क्यों पहले सा ना यहां लोग रहा ©Er.Mahesh #सोशल अवेयर नेस