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कोई शाम तू मेरे यूँ रूबरू हो कर उलझनों को दरकिनार

कोई शाम तू मेरे यूँ रूबरू हो
कर उलझनों को दरकिनार
कुछ हमसे भी गुफ़्तगू हो।
तू ना हो मगर, तेरी परछाईयाँ ही सही,
पर तेरी तरह हुबहु हो।

©manjeet
  #eveingthought  Manni Kumar Arpit kajal saini Radhe S Malik { Shri Krishna Prem } Sethi Ji