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P A R E N T + ING मेरा सच तूने कहाँ पढ़ा, मेरा

P A R E N T  +   ING

मेरा सच तूने कहाँ पढ़ा,
मेरा चेहरा मेरा नहीं है।
वो जो खेल था वो असल था,
वो करार था ठेका+ नहीं है।

वो तू जो आज इतने सुकून से है,
दरअसल वो मेरा चैन है तेरा नहीं है।
वो घनी छांव और वो चबूतरे,
मैं बस दरख्त हूं मेरा तेरा नहीं है।

इन बादलों में भी हैं कुछ खुशकियां,
फिर ठण्डी ज़मीनों में सरापा* नहीं है।
जहां शराब बन्दी है वही नायाब है
ये ज़िन्दगी है कोई तोहफा नहीं है।

 #NojotoQuote सरापा- मृगतृष्णा।  ठेका - ठहरने की जगह
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मेरा सच तूने कहाँ पढ़ा,
मेरा चेहरा मेरा नहीं है।
वो जो खेल था वो असल था,
वो करार था ठेका+ नहीं है।

वो तू जो आज इतने सुकून से है,
दरअसल वो मेरा चैन है तेरा नहीं है।
वो घनी छांव और वो चबूतरे,
मैं बस दरख्त हूं मेरा तेरा नहीं है।

इन बादलों में भी हैं कुछ खुशकियां,
फिर ठण्डी ज़मीनों में सरापा* नहीं है।
जहां शराब बन्दी है वही नायाब है
ये ज़िन्दगी है कोई तोहफा नहीं है।

 #NojotoQuote सरापा- मृगतृष्णा।  ठेका - ठहरने की जगह