सच्चा प्यार है खत जब भी जलेगा धुँवा गदर करेगा चिल् | हिंदी Poem
"सच्चा प्यार है
खत जब भी जलेगा
धुँवा गदर करेगा
चिल्लायेगा आंच भी नम निकलेंगी
उड़ के इंतज़ार करेगा
तू भि राख होगी ख़ाक होगी
तब घुलने कि एक बार फिर फरियाद करेगा
हां राख बन के भि जलेगा
पहला प्यार थी भूलने में
वक़्त तो लगेगा..."
सच्चा प्यार है
खत जब भी जलेगा
धुँवा गदर करेगा
चिल्लायेगा आंच भी नम निकलेंगी
उड़ के इंतज़ार करेगा
तू भि राख होगी ख़ाक होगी
तब घुलने कि एक बार फिर फरियाद करेगा
हां राख बन के भि जलेगा
पहला प्यार थी भूलने में
वक़्त तो लगेगा...