ज़िंदगी की ढेरों ख्वाइशें लेकर में सफर में ही था खुद की ज़िंदगी से दूर मैं इस शहर में ही था हर एक ख्वाईश ने दूर से पुचकारा ही था,कि ज़िंदगी की फरमाइशों के बोझ तले मैं कब्र में ही था भूपेंद्र रावत 8।07।2021 ©Bhupendra Rawat ज़िंदगी की ढेरों ख्वाइशें लेकर में सफर में ही था खुद की ज़िंदगी से दूर मैं इस शहर में ही था हर एक ख्वाईश ने दूर से पुचकारा ही था,कि ज़िंदगी की फरमाइशों के बोझ तले मैं कब्र में ही था भूपेंद्र रावत 8।07।2021