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किसी से मांगकर हमनें कभी लहज़ा नहीं पहना। हमारी मुफ़

किसी से मांगकर हमनें कभी लहज़ा नहीं पहना।
हमारी मुफ़लिसी ने आज तक गहना नहीं पहना।।
,
किसी  भी  हाल  में  घूँघट  उतारा  ही नहीं उसनें।
लिबास-ए-मुफ़लिसी ने रेशमी कपड़ा नहीं पहना।।
,
तुम्हें कल देख कर दिल को तसल्ली मिल गयी मेरे।
यही की आज फिर तुमनें नया चेहरा  नहीं  पहना।।
,
ख़ुशामद  इत्र  की  करतें  तो  खुश्बू  वो हमें देता।
लेकिन हर हाल में हमनें कोई पहरा नहीं  पहना।।
,
हमारी  नीव  पर  बच्चे  मज़े  से  खेल  सकतें है।
हमारी नीव ने अब तक कोई कमरा नहीं पहना।।
,
किसी में है अगर क़ुव्वत तो मुझमें खींच दे सरहद।
किसी भी हाल में हमनें कभी शज़रा नहीं पहना।।
,
किसी  के  वस्ल ने सबकों यहाँ बर्बाद कर डाला।
हमारे  हिज्र  ने  लेकिन  कोई सपना नहीं पहना।।
#रमेश
किसी से मांगकर हमनें कभी लहज़ा नहीं पहना।
हमारी मुफ़लिसी ने आज तक गहना नहीं पहना।।
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किसी  भी  हाल  में  घूँघट  उतारा  ही नहीं उसनें।
लिबास-ए-मुफ़लिसी ने रेशमी कपड़ा नहीं पहना।।
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तुम्हें कल देख कर दिल को तसल्ली मिल गयी मेरे।
यही की आज फिर तुमनें नया चेहरा  नहीं  पहना।।
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ख़ुशामद  इत्र  की  करतें  तो  खुश्बू  वो हमें देता।
लेकिन हर हाल में हमनें कोई पहरा नहीं  पहना।।
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हमारी  नीव  पर  बच्चे  मज़े  से  खेल  सकतें है।
हमारी नीव ने अब तक कोई कमरा नहीं पहना।।
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किसी में है अगर क़ुव्वत तो मुझमें खींच दे सरहद।
किसी भी हाल में हमनें कभी शज़रा नहीं पहना।।
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किसी  के  वस्ल ने सबकों यहाँ बर्बाद कर डाला।
हमारे  हिज्र  ने  लेकिन  कोई सपना नहीं पहना।।
#रमेश
rameshsingh8886

Ramesh Singh

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