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मै हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की तेरे नाम की और रिवाज

मै हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की 
मैं तेरे मन की तो नहीं बनी
फिर भी आस है तेरे प्यार की 
तू न चाहे  मुझे काबूल करे
मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की ,,

मेरी शोख नजर तुझे ढूंढती 
तुझे दूंढती हैं तुझे ढूंढती 
मेरा रूप रंग भी निखर गया 
मै इधर से आईना देखती
तुम आके गले से लगा लो अब 
मैं ख्व़ाब यही रात भर देखती ,,

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की...

अब तेरे नाम से मैं जिंदगी 
तू जिस तरह कहे मैं गुजार लूँ 
कोई हक तो मेरा बना नहीं
फिर भी माँग मैं यह संवार लूँ 
यही नसीब का मेरे लेख है
क्यों न हसकर मैं ये स्वीकार लूँ 

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की
तेरे नाम की और रिवाज की....

जिस रात की थी हमने आरजू 
वह अब जुस्तजू बन के रह गई 
अब सफर तो है बस इक उमर का
साँसे बन चिराग देख चल पड़ी ,,

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की
तेरे नाम की और रिवाज की ,,

             महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मै हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की 
मैं तेरे मन की तो नहीं बनी
फिर भी आस है तेरे प्यार की 
तू न चाहे  मुझे काबूल करे
मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की ,,

मेरी शोख नजर तुझे ढूंढती
मै हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की 
मैं तेरे मन की तो नहीं बनी
फिर भी आस है तेरे प्यार की 
तू न चाहे  मुझे काबूल करे
मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की ,,

मेरी शोख नजर तुझे ढूंढती 
तुझे दूंढती हैं तुझे ढूंढती 
मेरा रूप रंग भी निखर गया 
मै इधर से आईना देखती
तुम आके गले से लगा लो अब 
मैं ख्व़ाब यही रात भर देखती ,,

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की...

अब तेरे नाम से मैं जिंदगी 
तू जिस तरह कहे मैं गुजार लूँ 
कोई हक तो मेरा बना नहीं
फिर भी माँग मैं यह संवार लूँ 
यही नसीब का मेरे लेख है
क्यों न हसकर मैं ये स्वीकार लूँ 

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की
तेरे नाम की और रिवाज की....

जिस रात की थी हमने आरजू 
वह अब जुस्तजू बन के रह गई 
अब सफर तो है बस इक उमर का
साँसे बन चिराग देख चल पड़ी ,,

मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की
तेरे नाम की और रिवाज की ,,

             महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मै हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की 
तेरे नाम की और रिवाज की 
मैं तेरे मन की तो नहीं बनी
फिर भी आस है तेरे प्यार की 
तू न चाहे  मुझे काबूल करे
मैं हूँ तो दुल्हन तेरे नाम की ,,

मेरी शोख नजर तुझे ढूंढती