White सुनो जाना, दिसंबर फिर से बुला रहा है, धुंध के आंचल में कुछ गुनगुना रहा है। सर्द हवाएं तेरी बातों सी लगती हैं, हर झोंके में तेरा नाम दोहरा रहा है। वो चाय की प्याली, जो संग हमने बांटी थी, आज भी उसकी भाप में यादें सजी हैं। तेरे हाथों का छूना, वो हल्की सी गर्मी, अब हर घूंट में तेरा एहसास रखती है। आकाश के तारे पूछते हैं सवाल, क्या तू भी करता है मुझे कहीं याद? दिसंबर के मौसम का हर एक कोना, तेरे बिना अधूरा, हर पल मेरा रोना। सुनो जाना, ये दिसंबर बड़ा ज़िद्दी है, तेरे कदमों की आहट सुनना इसकी बंदिश है। क्या तू लौटेगा, इस मौसम के संग ? या मैं ही भटकता रहूँगा तेरी यादों के संग ? ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora