स्याही में ज़हर गोल बैठा हूँ कागज़ को मैं अपनी क़लम से निचोड़ बैठा हूँ कोई आए राक्षस रूप सामने मेरे महाकाली का मैं रौद्ररूप लिए बैठा हूँ खून पीना है मुझे इसी लिए एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में रक्तबीज लिए बैठा हूँ स्याही में ज़हर गोल बैठा हूँ कागज़ को मैं अपनी क़लम से निचोड़ बैठा हूँ कोई आए राक्षस रूप सामने मेरे महाकाली का मैं रौद्ररूप लिए बैठा हूँ खून पीना है मुझे इसी लिए एक हाथ में कटोरा और दूसरे हाथ में रक्तबीज लिए बैठा हूँ #माँ #महादेव #rekhta #Nojoto #poetrycommunity #writerscommunity #karanborana