Nojoto: Largest Storytelling Platform

शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल त

शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ
लोग मचल रहे थे संभल-संभल
तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता
लोग मर रहे थे पिघल-पिघल
अब्र से जागी आस रहम-रहम
घटायें छा गयी घनी-घनी
फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क
बादलों का टूटा सब्र-सब्र
बरसा पानी हर आंगन-आंगन
जलता शहर बचा-बचा
फिर आयी बहार गली-गली
फूल खिलें कली-कली शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ
लोग मचल रहे थे संभल-संभल
तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता
लोग मर रहे थे पिघल-पिघल
अब्र से जागी आस रहम-रहम
घटायें छा गयी घनी-घनी
फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क
बादलों का टूटा सब्र-सब्र
शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ
लोग मचल रहे थे संभल-संभल
तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता
लोग मर रहे थे पिघल-पिघल
अब्र से जागी आस रहम-रहम
घटायें छा गयी घनी-घनी
फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क
बादलों का टूटा सब्र-सब्र
बरसा पानी हर आंगन-आंगन
जलता शहर बचा-बचा
फिर आयी बहार गली-गली
फूल खिलें कली-कली शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ
लोग मचल रहे थे संभल-संभल
तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता
लोग मर रहे थे पिघल-पिघल
अब्र से जागी आस रहम-रहम
घटायें छा गयी घनी-घनी
फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क
बादलों का टूटा सब्र-सब्र

शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता लोग मर रहे थे पिघल-पिघल अब्र से जागी आस रहम-रहम घटायें छा गयी घनी-घनी फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क बादलों का टूटा सब्र-सब्र #Fire #Hindi #poem #yqbaba #kavita #yqdidi #cityonfire