शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता लोग मर रहे थे पिघल-पिघल अब्र से जागी आस रहम-रहम घटायें छा गयी घनी-घनी फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क बादलों का टूटा सब्र-सब्र बरसा पानी हर आंगन-आंगन जलता शहर बचा-बचा फिर आयी बहार गली-गली फूल खिलें कली-कली शहर जल रहा था धुआँ-धुआँ लोग मचल रहे थे संभल-संभल तपिश बड़ रही थी रफ्ता-रफ्ता लोग मर रहे थे पिघल-पिघल अब्र से जागी आस रहम-रहम घटायें छा गयी घनी-घनी फिर बिजली कड़की कड़क-कड़क बादलों का टूटा सब्र-सब्र