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White होंठों पर जो लफ़्ज़ों का दम घुटा, चुपचाप वो

White होंठों पर जो लफ़्ज़ों  का दम घुटा,
चुपचाप वो हैं आंखों में रहने लगे।

जब कोई न समझा उसे वहां भी
अश्क बन आंखों से बहने लगे।

कौन समझे दर्द इन आंसूओं का
गिला नया ,वो फिर कहने लगे।

न जाना किसी ने,न जानेगा कोई
दर्द अपना चुपचाप सहने लगे।

शिकवा नहीं जो मिले हैं मुझे
अश्क हर पल मुझे मेरे गहने लगे।

blackpen

©Blackpen
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