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White यूं तो रोज़ मिलते हो हर सवेरे शब्द खिलते है

White यूं तो रोज़ मिलते हो 
हर सवेरे शब्द खिलते है
वो बात अलग है कि तुमसे बात नहीं होती
जिस रात तुम्हें न सोंचू ऐसी कोई रात नहीं होती
पन्नें ही है अब 
आखिर ये भी सम्भालेगें कब तक
 ये पन्ने मेरे मोहताज नहीं 
तेरे दरमियां ये रिश्ते इस दुनियां को राज-नहीं
 काश कोई ऐसी किताब होती
जहां तुम्हारे लफ्जों को रोज़ में पिरौती
 फिर तुम भी पास होते
और रात भी कट जाती
 जानती हूं दोनों कुछ कह न पाते
 मगर मेरी मोहब्बत जरूर तुमसे नज़रे चुराती ।

©Bhanu Priya
  Jagdish Thakur SEJAL Sethi Ji Lalit Saxena Niaz (Harf)  rasmi Neel Anshu writer Andy Mann Laxmi