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हमारी मानवीय संवेदनाओ का मापक यंत्र भी यही वे

हमारी मानवीय 
संवेदनाओ का  
मापक यंत्र  भी  यही वे  आँसू हैँ 
जो हमारे जज्बातो  को मधुरता  देकर 
उन्हें  हरियाली  देते हैँ 
हमारे रिश्तो  को 
 सुखद   अहसास  
देकर   उन्हें  परिपक्वता  
देते हैँ 
कितना  पवित्र  कितना  सस्ता  कितना  महीन
हैँ   पानी हमारी आँख का 
जरा सी चुभन  हुईं नहीं कि 
पहाड़ी  झरनो की तरह  बह  उठता हैँ 
लेकिन  आवाज़  नहीं  करता आंसुओ की  सहनशीलता
हमारी मानवीय 
संवेदनाओ का  
मापक यंत्र  भी  यही वे  आँसू हैँ 
जो हमारे जज्बातो  को मधुरता  देकर 
उन्हें  हरियाली  देते हैँ 
हमारे रिश्तो  को 
 सुखद   अहसास  
देकर   उन्हें  परिपक्वता  
देते हैँ 
कितना  पवित्र  कितना  सस्ता  कितना  महीन
हैँ   पानी हमारी आँख का 
जरा सी चुभन  हुईं नहीं कि 
पहाड़ी  झरनो की तरह  बह  उठता हैँ 
लेकिन  आवाज़  नहीं  करता आंसुओ की  सहनशीलता

आंसुओ की सहनशीलता