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एक नये तरीके से , दीवाली मनाते हैं..... दीपोत्सव

एक नये तरीके से , दीवाली मनाते हैं.....

दीपोत्सव  कर , पुनः  ,  राम  राज्य  लाते  हैं
हम  भी किसी , सबरी के , जूठे बेर खाते हैं
धर्म जाति का भेद मिटा , मित्रता निभाते हैं
मात - पिता की सेवा में , तत्पर हो जाते हैं
भाई से भाई का , चलो हम , प्रेम  दर्शाते है
देश की मिट्टी का सम्मान करना सिखाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं

प्रेम  और  सौहार्द , का  ,दीप  जलाते  हैं
खुशियों  के सौगात का , दीप  जलाते  हैं
सुविचार और संस्कार का , दीप जलाते हैं
आदर  और  सत्कार का , दीप  जलाते हैं
एक  नए  उत्थान  का , दीप   जलाते  हैं
भारत  के नव निर्माण का , दीप जलाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से ,दीवाली मनाते हैं

क्यूं ना? आज चलो, किसी निर्धन के घर जाते हैं
खाली हाथ नहीं , खुशियों की मिठाई ले जाते हैं
घर  पर  अपने दो दीये हम , कम ही  जलाते है
उसी  दीये से झोपड़ी इनकी, रौशन कर जाते हैं
चलो छोड़ो हम इस बार , पटाखे नहीं जलाते हैं
संग बैठ कर , खुद भी हसतें और इन्हें हसातें हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं

भूख से तड़पते बच्चों को , भोजन पहुंचाते हैं
नए वस्त्र देकर , इन देवों से आशीष कमाते हैं
उदास चेहरों पर , चलो खिलखिलाहट लाते हैं
खोया जो "मासूम" का , मासूमियत ढूंढ लाते हैं
दिल से दिल तक पहुंचने का , मार्ग अपनाते हैं
पैसे से नहीं व्यवहार से , सबको अपना बनाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं..
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं...

   👉✍️ अपर्णा त्रिपाठी "मासूम" ✍️👈
      ✍️  महराजगंज ✍️

©मासूम
  आओ एक नए तरीके से दिवाली मनाते हैं
एक नये तरीके से , दीवाली मनाते हैं.....

दीपोत्सव  कर , पुनः  ,  राम  राज्य  लाते  हैं
हम  भी किसी , सबरी के , जूठे बेर खाते हैं
धर्म जाति का भेद मिटा , मित्रता निभाते हैं
मात - पिता की सेवा में , तत्पर हो जाते हैं
भाई से भाई का , चलो हम , प्रेम  दर्शाते है
देश की मिट्टी का सम्मान करना सिखाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं

प्रेम  और  सौहार्द , का  ,दीप  जलाते  हैं
खुशियों  के सौगात का , दीप  जलाते  हैं
सुविचार और संस्कार का , दीप जलाते हैं
आदर  और  सत्कार का , दीप  जलाते हैं
एक  नए  उत्थान  का , दीप   जलाते  हैं
भारत  के नव निर्माण का , दीप जलाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से ,दीवाली मनाते हैं

क्यूं ना? आज चलो, किसी निर्धन के घर जाते हैं
खाली हाथ नहीं , खुशियों की मिठाई ले जाते हैं
घर  पर  अपने दो दीये हम , कम ही  जलाते है
उसी  दीये से झोपड़ी इनकी, रौशन कर जाते हैं
चलो छोड़ो हम इस बार , पटाखे नहीं जलाते हैं
संग बैठ कर , खुद भी हसतें और इन्हें हसातें हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं

भूख से तड़पते बच्चों को , भोजन पहुंचाते हैं
नए वस्त्र देकर , इन देवों से आशीष कमाते हैं
उदास चेहरों पर , चलो खिलखिलाहट लाते हैं
खोया जो "मासूम" का , मासूमियत ढूंढ लाते हैं
दिल से दिल तक पहुंचने का , मार्ग अपनाते हैं
पैसे से नहीं व्यवहार से , सबको अपना बनाते हैं

आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं..
आओ एक नए तरीके से , दीवाली मनाते हैं...

   👉✍️ अपर्णा त्रिपाठी "मासूम" ✍️👈
      ✍️  महराजगंज ✍️

©मासूम
  आओ एक नए तरीके से दिवाली मनाते हैं