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शायद हम भी कुछ ऐसा सोच रहे हैं दुश्मनी निभाना हमा

शायद हम भी कुछ ऐसा सोच रहे हैं

दुश्मनी निभाना हमारा जुनून नहीं है

मगर करूं क्या मजबूरी में कर रहे हैं

अच्छा हुआ उनसे मेरा मिलना न हुआ

क्या करें अब ये सितम भी सह रहे हैं

मिलना कर बिछड़ना आसान नहीं है

ये सोच के हम गम के आंसू  पी रहे हैं

©Prem Narayan Shrivastava #अंज़ाम ए दोस्ती
शायद हम भी कुछ ऐसा सोच रहे हैं

दुश्मनी निभाना हमारा जुनून नहीं है

मगर करूं क्या मजबूरी में कर रहे हैं

अच्छा हुआ उनसे मेरा मिलना न हुआ

क्या करें अब ये सितम भी सह रहे हैं

मिलना कर बिछड़ना आसान नहीं है

ये सोच के हम गम के आंसू  पी रहे हैं

©Prem Narayan Shrivastava #अंज़ाम ए दोस्ती