अगर उसकी तड़पती रूह ज़िंदा है तो देखे,यहाँ कौन बलात्कार पर शर्मिंदा है तड़प सबको यहाँ मौका भुनाने की बलात्कार भी यहाँ राजनीतिक मुद्दा है वो शैतान जिसने आबरू लूट ली उसकी बस वो ही नही,ये सियासत-दान भी दरिंदा है हर बलात्कार पर आवाज़े नही उठती यकीं मानिए,कुछ बलात्कार भी चुनिंदा है ©क्षत्रियंकेश चुनिंदा!