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ये दिल के ज़ख्म गहरे एक दिन में तो नहीं बनते, कि सा

ये दिल के ज़ख्म गहरे एक दिन में तो नहीं बनते,
कि सालों चोट खाने से ये दिल का हाल होता है।
लगा कर दिल किसी से खुश बहुत होता है हर आशिक,
कि फिर जब टूट जाए दिल तड़पता और रोता है।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #आशिक
ये दिल के ज़ख्म गहरे एक दिन में तो नहीं बनते,
कि सालों चोट खाने से ये दिल का हाल होता है।
लगा कर दिल किसी से खुश बहुत होता है हर आशिक,
कि फिर जब टूट जाए दिल तड़पता और रोता है।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #आशिक