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प्रभाती - दोहे *********** सूर्योदय अब हो गया

प्रभाती - दोहे 
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सूर्योदय  अब  हो  गया, मानव  आँखे  खोल। 
तन मन अपना ले जगा, मुख से हरि हरि बोल।। 

मानव  मन  ये  सोचता, कहां  बसे  भगवान।
कण कण में हरि है बसे, हरि सबसे बलवान।।

तेरे   मन   में   हैं   खुदा , मेरे  मन  में  राम। 
दोनों के  एक  रूप है, अलग अलग है नाम।।

©Uma Vaishnav
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