आज की दुनिया ------------------- आज फिर सच को झूठ के सामने हारते देखा एक निश्चल हृदय को मैंने विलखते हुए देखा। वह सब झूठ था जो मेरी माँ मुझे कहती थी यहाँ सच्चे प्रेम को तिरस्कृत होते हुए देखा। ख़ुशनसीब है वह जिन्हें सच्चा हमसफ़र मिलते हैं कार्य व्यस्तता की आड़ में, मैंने लोगों को नज़र अंदाज़ करते हुए देखा। वह इंसान मर चुके हैं , जो मुफ़्त में उपकार करते थे आज तो उपकार के बदले में, आत्मसम्मान को गिरते हुए देखा। वो वादों का सिलसिला सायद चलचित्र तक ही सीमित है यहाँ लोगों को हर पल मैंने रंग बदलते हुए देखा। आश्चर्य की बात तो यह है, आज मैंने भगवान को दयानिधि के रुप में नहीं देखा। ©Subhalakshmi Pattnaik #आजकीदुनिया #CloudyNight