पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ-साथ यह देखना निराशाजनक है कि चुनाव की चर्चा में विकास और सुनसान की बातें कम और भावनात्मक मुद्दे अधिक हावी हो रहे हैं यह अपने देश की विडंबना है कि जब भी चुनाव खासकर विधानसभा चुनाव का दौर आता है तो विकास और जनकल्याण कि वे बातें भी नजर आती हैं जो चंद दिनों पहले राजनीतिक विमर्श के केंद्र में हुई थी राजनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में से भाजपा 2017 के पिछले चुनाव में अपनी चमत्कारी सफलता दिखाकर कोशिश कर रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 5 साल के अपने कार्यालय के दौरान विकास के कई ऐसे कार्य जो पहले की सरकारों में सीआईडी के बढ़ चुके थे इसके बावजूद प्रदेश का चुनाव ध्रुवीकरण की ओर बढ़ता रहा है क्योंकि राजनीतिक दलों को जाति मजहब की राजनीति करना अधिक फायदेमंद दिख रहा है कि भाजपा विपक्षी दलों की राजनीति से अवगत है इसलिए चुनाव को अपने मूल विकास और सुशासन के साथ हिंदू अस्मिता की ओर ले जा रही है सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ विकास का सिलसिला कायम हुआ है वाराणसी और काशीपुर के रूप में कार्य किया गया उसका स्वाभाविक लाभ भाजपा को मिलता है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि भाजपा के लिए बड़ा सवाल है ©Ek villain # जाति मजहब की राजनीति का दुष्परिणाम #humantouch