Nojoto: Largest Storytelling Platform

ह्रदय की तृन्न कुटिया मे. रेंगती खासती वो पुरातन प

ह्रदय की तृन्न कुटिया मे.
रेंगती खासती वो पुरातन पीर
आज भी  गर्व करती  है
अपने  अतीत की सुधीयों पर 
 वही नामचीन पीर  आज भी 
मेरे अस्फुट प्राणो  का रस पीती  और पीकर
पुष्ट होती है
अक्सर मेरे जीवन की नींरव घड़ियों मे
आकर .....वो .मल्हार  राग सुनाती है
और  मेरी आँख के  अश्रुकन देख कर भी  वो  पसीजती नही
और  आगे की तरफ बड़ जाती है

©Parasram Arora पुरातन  पीर
ह्रदय की तृन्न कुटिया मे.
रेंगती खासती वो पुरातन पीर
आज भी  गर्व करती  है
अपने  अतीत की सुधीयों पर 
 वही नामचीन पीर  आज भी 
मेरे अस्फुट प्राणो  का रस पीती  और पीकर
पुष्ट होती है
अक्सर मेरे जीवन की नींरव घड़ियों मे
आकर .....वो .मल्हार  राग सुनाती है
और  मेरी आँख के  अश्रुकन देख कर भी  वो  पसीजती नही
और  आगे की तरफ बड़ जाती है

©Parasram Arora पुरातन  पीर

पुरातन पीर #कविता