आशिक होते अगर हम भी झूठे,तो इतना दर्द ना होता किसी के प्यार के लिए, ये आंसू ना बहता। हम सच्चे हैं शायद यहां,इसीलिए उस ने ठुकराया प्यार को उसने मेरे पल में,मजाक बनाया। उम्र का पहला प्यार था ये,जो अब मुझसे छूट गया गलती ना करेंगे ये दोबारा,सारी सच्चाई अब जान गया। यहां क़त्ल हो जाता है निगाहों से,मुजरिम भी फरार हो जाता है न्याय नहीं मिलता दिल की अदालत में भी,वो बस घुट घुट के रह जाता है। क्या कहां जाए इश्क के सफर को,जो कभी पूरा होता ही नहीं चाहत तो सभी को होती है,पर साथ कोई चलता नहीं। कुदरत ने ये क्या बनाया है,प्यार शब्द देकर सताया है कुछ पलों का साथ बना कर,फिर हर पल रुलाया है। ©purvarth #आशिक़