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रचना दिनांक ३,,५,,१९९१, ््् ्््शीर्षक ्् ््् भुमिक

रचना दिनांक ३,,५,,१९९१,
्््
्््शीर्षक ््
्््
भुमिका ््आज सम्पूर्ण जीवन में मानव सभ्यता संस्कार की मर्यादा में चलकर जीवन की बागडोर
थामे इस अवसर पर हमारा स्नेहित अभिनंदन।।
,, दो दिलों की धड़कनो के मधुर मिलन,,
की नवबेला में वर वधू को आशीष देने ,,
व्दार खडे नव आगन्तुक सारे नव मंण्डप में।।
्््
््
्््भावचित्र ््

अभिनंदन पत्र
््््
अभिनंदन के पूष्प लिये मैं
बहन तुम्हारे जीवन पथ पर
सुख समृद्धि के अश्व रथ पर
मातृ पितृ के नयनो में तुम
जीवन के हर स्वपन संजाकर,
आशीष के तुम योग्य बने
जीवन की हर अभिलाषाएं
परिवार तुम्ही से चाहता है
शिव शस्त्र लिये तुम कर्मभूमि पर
विवाह बंधन के शीर्ष बिन्दू पर
आनंद की नव पूष्प वाटिका में
जीवन का रसरंग लिये
रुप के रंग मंदिर से
निकल पडी वह शहजादी
नयन तुम्हारे सागर जैसे
केश तुम्हारे लहराते
जब वो सहसा अक्स दीप बन जाते
जीवन की उत्कृष्ट छबि ले
जीवन सुखद बनाते है

््््
््कवि शैलेंद्र आनंद
11 जुलाई 2023




थथथ प

©Shailendra Anand #deepveer
रचना दिनांक ३,,५,,१९९१,
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्््शीर्षक ््
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भुमिका ््आज सम्पूर्ण जीवन में मानव सभ्यता संस्कार की मर्यादा में चलकर जीवन की बागडोर
थामे इस अवसर पर हमारा स्नेहित अभिनंदन।।
,, दो दिलों की धड़कनो के मधुर मिलन,,
की नवबेला में वर वधू को आशीष देने ,,
व्दार खडे नव आगन्तुक सारे नव मंण्डप में।।
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्््भावचित्र ््

अभिनंदन पत्र
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अभिनंदन के पूष्प लिये मैं
बहन तुम्हारे जीवन पथ पर
सुख समृद्धि के अश्व रथ पर
मातृ पितृ के नयनो में तुम
जीवन के हर स्वपन संजाकर,
आशीष के तुम योग्य बने
जीवन की हर अभिलाषाएं
परिवार तुम्ही से चाहता है
शिव शस्त्र लिये तुम कर्मभूमि पर
विवाह बंधन के शीर्ष बिन्दू पर
आनंद की नव पूष्प वाटिका में
जीवन का रसरंग लिये
रुप के रंग मंदिर से
निकल पडी वह शहजादी
नयन तुम्हारे सागर जैसे
केश तुम्हारे लहराते
जब वो सहसा अक्स दीप बन जाते
जीवन की उत्कृष्ट छबि ले
जीवन सुखद बनाते है

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््कवि शैलेंद्र आनंद
11 जुलाई 2023




थथथ प

©Shailendra Anand #deepveer