White देख री आंख ज़रा,दौर ये कैसा आया पहले कुछ ठीक ही था,और ये कैसा आया.. अब तो परवाह नहीं, दिल का कहाँ नाता है सबको अपनी ही फिकर, कौन किसे भाता है.. रात ही रात लगे भौर ये कैसा आया.. देख री आँख ज़रा दौर ये कैसा आया बंद ताले में क्यूँ है आँखों की भोली मस्ती अपनों के बीच परायों की घणी सी बस्ती दो घड़ी चैन नहीं ठौर ये कैसा आया देख री आँख ज़रा दौर ये कैसा आया.. कितना बदला है जहाँ, और क्या बदलेगा भला अब तो दौलत का नशा और ना कुछ बाकी चला चल पड़ी भीड़ जहाँ तौर ये कैसा आया देख री आँख ज़रा दौर ये कैसा आया.. ©अज्ञात #Lagta