जब भी कहीं दूर यात्रा पर निकलता हूं मेरे पास एक किताब होती है और एक डायरी किताब जो मुझे खूब भाती है उसे मैं खूब पढ़ता हूं और जब दिख जाता है तुम्हारा नाम अनायास ही उस किताब में मन में एक टीस-सी उभर आती है तुम्हारा नाम दिखते ही उतर आती है, तुम्हारी तस्वीर मेरे सामने सब कुछ धुधला-धुधला सा दिखने लगता है यात्रा धीमी हो जाती है क़िताब छोड़, उठा लेता हूं डायरी और लयबद्ध करने लगता हूं तुम्हारा दिया हुआ उपदेश जो बुद्ध की याद दिलाती है... लाख कोशिश करता हूं बहुत दूर यात्रा पर निकल जाऊं और लौटू न पर खिचा चला आता हूं तुम्हारे पास इन्हीं किताबों के सहारे। ~सुमित चौधरी . ©Sumit Chaudhary #किताब में तुम्हारा नाम