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क्या नजरें थी देख कर डूब जाने का मन करता था उनमे

क्या नजरें थी देख कर डूब जाने का
 मन करता था  उनमें 
पैरों की वो पायल कितना मधुर स्वर में 
बजती थी जब आप हमें देख छिपने को दौड़ कर 
चली जाती थी  पर ये तो यादें है 
अभी तो ना वो नजरें है ना वो मधुर स्वर में बजने 
वाली पायल है और इस जगहे 
पर नाही अपना पन बचा तुम जो नहीं यहां पर

©kishan mahant #तुम जो नहीं यहां पर
क्या नजरें थी देख कर डूब जाने का
 मन करता था  उनमें 
पैरों की वो पायल कितना मधुर स्वर में 
बजती थी जब आप हमें देख छिपने को दौड़ कर 
चली जाती थी  पर ये तो यादें है 
अभी तो ना वो नजरें है ना वो मधुर स्वर में बजने 
वाली पायल है और इस जगहे 
पर नाही अपना पन बचा तुम जो नहीं यहां पर

©kishan mahant #तुम जो नहीं यहां पर

#तुम जो नहीं यहां पर #कविता