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कोशिश तो यही रही है अक़्सर, बेदर्द ज़माने में, टूट

कोशिश तो यही रही है अक़्सर, बेदर्द ज़माने में,
टूटकर बिखर जाऊँ, रखी ना कमी आज़माने में।

हादसों के बाद झूठे दिखावे के सिवा मिला क्या?
रहूँ क़ैद चंद अल्फ़ाज़ में, रही ना कसर गिराने में।

ज़ख़्म चीखते तो बहुत, सुनने वाले ही रहते मौन,
ज़िंदा हूँ अपने दम पर, रखी ना उम्मीद बहाने में।

ओढ़कर रीत-रस्म की चादर,  हक़ीक़त झुठलाते, 
परवाह के नाम पर, दे दी थोड़ी ज़मीं दफ़नाने में।

हारना  नहीं है कभी, कोशिशें  करते रहना है  'धुन',
अपने-बेगाने सब साथ आएँगे न, मातम मनाने में।  Rest Zone 'ख़्वाब और हक़ीक़त'

#restzone #rztask285 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzhindi #feelings
कोशिश तो यही रही है अक़्सर, बेदर्द ज़माने में,
टूटकर बिखर जाऊँ, रखी ना कमी आज़माने में।

हादसों के बाद झूठे दिखावे के सिवा मिला क्या?
रहूँ क़ैद चंद अल्फ़ाज़ में, रही ना कसर गिराने में।

ज़ख़्म चीखते तो बहुत, सुनने वाले ही रहते मौन,
ज़िंदा हूँ अपने दम पर, रखी ना उम्मीद बहाने में।

ओढ़कर रीत-रस्म की चादर,  हक़ीक़त झुठलाते, 
परवाह के नाम पर, दे दी थोड़ी ज़मीं दफ़नाने में।

हारना  नहीं है कभी, कोशिशें  करते रहना है  'धुन',
अपने-बेगाने सब साथ आएँगे न, मातम मनाने में।  Rest Zone 'ख़्वाब और हक़ीक़त'

#restzone #rztask285 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #rzhindi #feelings