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मेरी सारी साधुता एक ही धारणा पर टिकी हैँ कि

मेरी सारी  साधुता   एक ही  धारणा  
पर टिकी हैँ 
कि शरीर  के साथ सब  समाप्त नहीं हो जाता 
और जीवन का अर्थ इसी बात पर निर्भर हैँ कि 
जब शरीर  गिरता हैँ  तो कुछ बिना  गिरा भी  शेष 
रह जाता हैँ 
शरीर जब मिटता हैँ  मिटटी मे  तो सभी कुछ 
नहीं  गिरता  मिटटी मे  
कुछ मेरे भीतर कोइ  ज्योति  किसी  और  यात्रा पर  निकल  जाती हैँ अर्थात  मै  बचता  हूं  किसी अन्य  अर्थो मे शाश्वत  ज्योति
मेरी सारी  साधुता   एक ही  धारणा  
पर टिकी हैँ 
कि शरीर  के साथ सब  समाप्त नहीं हो जाता 
और जीवन का अर्थ इसी बात पर निर्भर हैँ कि 
जब शरीर  गिरता हैँ  तो कुछ बिना  गिरा भी  शेष 
रह जाता हैँ 
शरीर जब मिटता हैँ  मिटटी मे  तो सभी कुछ 
नहीं  गिरता  मिटटी मे  
कुछ मेरे भीतर कोइ  ज्योति  किसी  और  यात्रा पर  निकल  जाती हैँ अर्थात  मै  बचता  हूं  किसी अन्य  अर्थो मे शाश्वत  ज्योति