हम दौड़ते है भागते है धन कमाते है यश कमाते है दीवारे बनाते है तिज़ोड़िया निर्मित करते है सुरक्षा का इंतज़ाम करते है वो भी इसलिए कि कहीं हम मिट न जाए फिर भी मिट तो जाते है और सारे आयोजन व्यर्थ सिद्ध हो जाते है सारे आयोजन सब प्रयास सब चेष्टाये शून्य सिद्ध हो जाते है और मृत्यु का वो एक दिन आ ही जाता है ©Parasram Arora मृत्यु का वो एक दिन.....