हर श्याम गुजरती थी उनकी ही यादों में, हर रात गुजारती थी उनके ही खयालों में, गुजरता था हर दिन उनकी जुल्फों के सायों में, अब बस में हूं और मय है प्यालों में, अटक कर रह गया हूं जहां के सवालों में। दुनिया तोल रही है मुझको अलग अलग पैमानों में, बांट दी मेरी मोहब्बत ज़माने ने खानदानों में। गुजरती थी