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हर श्याम गुजरती थी उनकी ही यादों में, हर रात गुजार

हर श्याम गुजरती थी उनकी ही यादों में,
हर रात गुजारती थी उनके ही खयालों में,
गुजरता था हर दिन उनकी जुल्फों के सायों में,
अब बस में हूं और मय है प्यालों में,
अटक कर रह गया हूं जहां के सवालों में।
दुनिया तोल रही है मुझको अलग अलग पैमानों में,
बांट दी मेरी मोहब्बत ज़माने ने खानदानों में। गुजरती थी
हर श्याम गुजरती थी उनकी ही यादों में,
हर रात गुजारती थी उनके ही खयालों में,
गुजरता था हर दिन उनकी जुल्फों के सायों में,
अब बस में हूं और मय है प्यालों में,
अटक कर रह गया हूं जहां के सवालों में।
दुनिया तोल रही है मुझको अलग अलग पैमानों में,
बांट दी मेरी मोहब्बत ज़माने ने खानदानों में। गुजरती थी
utkarshjain9095

Utkarsh Jain

New Creator

गुजरती थी