मेरे शब्द विचरते हैं दिलों-दिमाग में, रहते हैं जज़्बातों में , बटोरतें है अनगिनत दृश्य, अंत में ,कागज की कश्तियों में उतर आते हैं..! कभी-कभी डर से जाते हैं मेरे शब्द कुछ लिखने को जब वह भयावह दृश्य /घटनाओं को देख लेते हैं..! तो कभी-कभी अतीव बेबस हो जाते हैं मेरे शब्द कुछ लिखने को जब वह सौंदर्य या श्रृंगारिक दृश्यों को देख लेते हैं..! तो कभी-कभी मेरे शब्द ऐसे शब्दों को चुरा लाते हैं जो मेरे रोजमर्रा के जीवन में कभी देखे भी ना हो.. और फिर.., उन चुराएं शब्दों को बिखेरकर रच देते हैं मेरी नई नई कविताएं..!! -झलक अग्रवाल #InspireThroughWriting #ekkhyal #Thoughts #oftheday #BASED #on #Imagination #dailywrites