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jhalakagarwal7487
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jhalak agarwal

कुछ अनकहे अनसुने अनसुलझे अल्फ़ाज़

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jhalak agarwal

मुक्तक- (दम तोड़ गया उसकी आबरू का पंछी
          दम अब घुट गया, इस दुनिया के आसमां मे)

इस जहां में ‘मैं' अकेली नहीं
सबकी ये ही कहानी है
हर स्त्री ने इस एकरूप में
देखी ये कहानी है
झेली ये परेशानी है .! 

इस भीड़ में वो दरिंदे
बनावटी है मन जिनका 
बाहर से अच्छे
अंदर से स्वभाव खौफनाक रखते हैं..! 

आतंक से जिनके आजकल के भगवान भी डरते हैं..! 

हाथ में मोमबत्ती लेने से
सिर्फ अखबार में खबरें आयेंगी
कल फिर किसी की बेटी, बहु की
आबरू नीलाम हो जायेगी.! 

क्यों ये घटनायें बार-बार होती है
क्यों ये इंसानियत बार-बार शर्मसार होती है
क्यों कोई दरिंदा इतने नाजुक कलियों को नोचता है
क्यों नहीं सुनता समाज  ये जब कोई चिल्ला- चिल्ला कर रोता है! 

नारी के ही दूध का कर्ज तुम नारी के ही रक्त से चुकाते हो
कुछ इस तरह तुम अपना रूप दिखाते हो
नारी ने ही जन्म दिया है
फिर नारी को ही क्यों भूल जाते हो..?! 

हर वक्त तुम्हारी नज़रें मेरे जिस्मों पर रहती है
मैं भी तो किसी की माँ हूँ  किसी की बेटी हूँ ना
फिर तुम अपनी माँ की ममता , बहन के लाड को क्यूँ भूल जाते हो..! 

जिस नारी ने ही तुम्हे जन्म दिया
पाला - पोसा
सब कुछ किया
उस नारी की आबरू पर दाग लगाते हो..! 

तुम्हारे एक आँसूओ का कर्ज मैंने अपने हजार आँसूओ से चुकाया है, 
हजार आँसूओ का एक भी कतरा क्या तुम्हें दिख न  पाया हैं 

हवस के खातिर तुमने
कितनी की रूहों का है स्वाद लिया
जीवन जो वरदान मिला था
उसे भी अभिशाप किया..! 

 नारी को अब पढ़ना होगा,
उसे भी कदम मिला कर आगे बढ़ना होगा,
नारी का सम्मान बढ़ाना होगा,
नारी का अपमान मिटाना होगा..! 

कितनी ही बार तुम धोखे से जीते, 
अब तो नारी को ही जीतना सिखाना होगा
जिस महत्व की वो काबिल है
वो महत्व उसे दिलाना होगा!!

-झलक अग्रवाल... .... #Stoprape
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jhalak agarwal

मौन हूँ
कमज़ोर नहीं
नि:शब्द हूँ
गूंगी नहीं
भाव में विलीन हूँ
पत्थर जैसा दिल नहीं
हूँ साफ आईना सी
मत करना कोशिश मुझे तोड़ने की
बोलती हूँ मैं कटाक्ष
बातों से खेलना मेरा वजूद नहीं
जब जब करोगे तुम अत्याचार
उस दिन से तुम्हारे चरित्र का कोई मोल नहीं

-झलक अग्रवाल

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jhalak agarwal

(ठोकरों से मंज़िल का सफ़र)  

ठोकरें तेरी मंज़िल में बाधा बनेंगी, 
किंतु तू अपने पथ पर बढ़ता चल। 
ठोकरें तुझे सैंकड़ों बार गिराएंगी, 
किंतु तू उठकर फिर से चलता चल। 

जरूरी नहीं मंज़िल तुझे रफ़्तार से मिले, 
आहिस्ता-आहिस्ता तू सफ़र करता चल। 
बाधाएँ तुझे रोकेंगी मंज़िल तक पहुँचने में, 
तो बेशक हर बाधा को पार कर चलता चल। 

खुद तू अपनी मंज़िल पर भरोसा रख, 
बस ध्यान रखकर कदम उठाता चल। 
नकारात्मक विचारों को खुद से दूर रख, 
बस ऐसे ही संभलकर कदम उठाता चल। 

फिर मंज़िल को पाने में कोई रोक न सकेगा, 
यूँ बाधा को पार कर तू अपनी मंज़िल पा सकेगा। 
पसीनें की बूंदों को तू जब तक पोछ ना सकेगा, 
जब तक तेरी मंज़िल तू खुद चूम ना सकेगा। 

 उन्मुक्त गगन में खिलेगा तू , 
 जब कल को निखरेगा तू , 
 याद आयेगी तेरी वो हर पेशानी, 
 फ़िर अमर हो जायेगी तेरी कहानी। 

-झलक अग्रवाल #shore
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jhalak agarwal

तरो-ताजा़ है
ये मेरे खामोश लब..,
पर तरो-ताजा़ होकर भी, 
ये कितने है ख़ामोश..! 
कभी कुछ नहीं कह पाते 
कहना चाह कर भीं.. 
कभी कुछ नही कह पाते..! 
यदि इन लबों की 
खामोशी को जान पाओ, 
तो जान लो ..,,
बिना बोले मेरे 
लबों को पहचान लो..! 
ना जाने अंदर-ही-अंदर, 
क्या-क्या कहते रहते हैं दरबदर.. 
हरदम ,हरक्षण, हरवक्त 
मेरे ये लब़ बहुत कुछ कहना चाह कर भी ,
कुछ नही कह पातें.!! 
बस कसकर के ये 
मेरी खामोशियों से जकड़ लिए जाते..!!
ना जाने क्यूँ.., 
ना जाने इतने क्यों अधीर है ये
कुछ कहने को.. 
ना जाने इतने क्यों बेताब-से है ये
तंज कुछ कहने को... 
ना जाने इतने क्यों खानाबदोश से है ये
बहुत कुछ कहने को..!! 
तरो-ताजा़ तो है
ये मेरे खामोश लब ,
पर तरो-ताजा़ होकर भी 
ये कितने है ख़ामोश..! 
जैसे पतझड़ में आई बहार, 
जैसे माझी के बिन नाव, 
जैसे जलती हुई मशाल, 
ऐसे प्रज्वलित है मेरी लबों की ज्वाला..! 
-झलक अग्रवाल #DesertWalk
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jhalak agarwal

मेरे शब्द 
विचरते हैं दिलों-दिमाग में, 
रहते हैं जज़्बातों में ,
बटोरतें है अनगिनत दृश्य, 
अंत में ,कागज की कश्तियों में
उतर आते हैं..! 

कभी-कभी 
डर से जाते हैं मेरे शब्द
कुछ लिखने को
जब वह भयावह दृश्य /घटनाओं को
देख लेते हैं..! 

तो कभी-कभी 
अतीव बेबस हो जाते हैं मेरे शब्द
कुछ लिखने को 
जब वह सौंदर्य या श्रृंगारिक दृश्यों 
को देख लेते हैं..! 

तो कभी-कभी 
मेरे शब्द ऐसे शब्दों को
चुरा लाते हैं
जो मेरे रोजमर्रा के जीवन में
कभी देखे भी ना हो.. 
और फिर..,
उन चुराएं शब्दों को बिखेरकर 
रच देते हैं मेरी नई नई कविताएं..!! 

-झलक अग्रवाल #shortpoetry #Poetry #Quote
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jhalak agarwal

मेरे शब्द 
विचरते हैं दिलों-दिमाग में, 
रहते हैं जज़्बातों में ,
बटोरतें है अनगिनत दृश्य, 
अंत में ,कागज की कश्तियों में
उतर आते हैं..! 

कभी-कभी 
डर से जाते हैं मेरे शब्द
कुछ लिखने को
जब वह भयावह दृश्य /घटनाओं को
देख लेते हैं..! 

तो कभी-कभी 
अतीव बेबस हो जाते हैं मेरे शब्द
कुछ लिखने को 
जब वह सौंदर्य या श्रृंगारिक दृश्यों 
को देख लेते हैं..! 

तो कभी-कभी 
मेरे शब्द ऐसे शब्दों को
चुरा लाते हैं
जो मेरे रोजमर्रा के जीवन में
कभी देखे भी ना हो.. 
और फिर..,
उन चुराएं शब्दों को बिखेरकर 
रच देते हैं मेरी नई नई कविताएं..!! 

-झलक अग्रवाल #InspireThroughWriting #ekkhyal #Thoughts #oftheday #BASED #on #Imagination #dailywrites
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jhalak agarwal

ये नयन कुछ कहना चाहे
कह कर भी कुछ नहीं कह पाते
ये नयन शब्दों से अनजान है
क्यों संग अधर पिघल समंदर बन जाये 

और पिघरकर अनकहें, अनसुने
अहसासों के समंदर में ज्वार लाये
तब भी अंतरमन की व्यथा शब्द कह ना पाये।

-झलक अग्रवाल #Eyesspeaks #thought #writingcommunity #dailywrites #Quotes #shortpoetry
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jhalak agarwal

तेरे आने से, मेरे दिल को अज़ीब राहत थी
टूटे दिल के टूकड़ो को फिर से जुड़ने की आशा थी
जब जब जिक्र में तुम्हारा नाम लिया करती थी
तब तब दुनिया मुझे बेहद आज़माया करती थी
          -झलक अग्रवाल #quoteoftheday #Quote #shayri
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jhalak agarwal

एक दिन उड़ जाएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने अरमानों को पूरा करने के लिए
फिर कभी ना लौट के आएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने बचपन को फिर से जीने के लिए
एक दिन उड़ जाएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने सपनों को संवारने के लिए
फिर कभी ना लौट के आएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने बचपन को फिर से जीने के लिए
अभी कदम डगमगाते है इनके
अभी लफ़्ज़ लड़खड़ाते है इनके
थोड़ा हिचकिचाते है बातों को समझने में
थोड़ा झिलमिलाते है अपनों के बीच में
लेकिन कुछ समय बाद-2
कदमों से कदम मिलाएंगे यह नन्हें परिंदे
सबके साथ चलकर दिखाएंगे यह नन्हें परिंदे
खुलकर के आसमान में अपने पंख फैलाएंगे यह नन्हें परिंदे
सबसे ऊँचा उड़के दिखाएंगे यह नन्हें परिंदे
एक दिन उड़ जाएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने ख्वाबों को सजाने के लिए
फिर कभी ना लौट कर आएंगे यह नन्हें परिंदे
अपने बचपन को फिर से जीने के लिए #childpoem #childlove #Kids #written #Love #kid
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jhalak agarwal

क्या खो कर ,क्या पाया
क्या पाकर, क्या खोया
तकदीर में जो लिखा था
वो चाहकर भी खो दिया.! 
-झलक अग्रवाल #thoughtoftheday #todaythought #Quote #daily #write #writer #WrittenByMe #Poet
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