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सच्ची धर आस्था मन में, माँ के दरबार आये हैं। करे प

सच्ची धर आस्था मन में, माँ के दरबार आये हैं।
करे पूरी मुरादें माँ अम्बे नवरात्र आये हैं।।

विकारों से घिरे तम में, अज्ञानी मूढ़ अनजाने। 
 बुलावा जो मिले आए,माँ दौड़े तेरे दीवाने।। 
 
 जँहा की ठोकरे खाई, तभी तुमको पुकारा मां।
मेरी माता बड़ी भोली, दिया मुझको सहारा मां ।।

चले सन्मार्ग पथ पर मां, सतत राहें दिखा दो ना।
 कि जनहित हेतु मुझको भी, जीना सिखा दो ना।।

 कि औरों को सुधा बाटें, भले विषपान खुद कर ले। 
जगा देवत्व सेवक बन, स्वयं संताप हम हर ले।।

©Sudha Tripathi #navratri  Vasudha Uttam Divya Joshi Vishal kumar "Vishal" Priya Gour indira
सच्ची धर आस्था मन में, माँ के दरबार आये हैं।
करे पूरी मुरादें माँ अम्बे नवरात्र आये हैं।।

विकारों से घिरे तम में, अज्ञानी मूढ़ अनजाने। 
 बुलावा जो मिले आए,माँ दौड़े तेरे दीवाने।। 
 
 जँहा की ठोकरे खाई, तभी तुमको पुकारा मां।
मेरी माता बड़ी भोली, दिया मुझको सहारा मां ।।

चले सन्मार्ग पथ पर मां, सतत राहें दिखा दो ना।
 कि जनहित हेतु मुझको भी, जीना सिखा दो ना।।

 कि औरों को सुधा बाटें, भले विषपान खुद कर ले। 
जगा देवत्व सेवक बन, स्वयं संताप हम हर ले।।

©Sudha Tripathi #navratri  Vasudha Uttam Divya Joshi Vishal kumar "Vishal" Priya Gour indira